
नई दिल्ली।
एम्स ने एक नमस्ते कैंपेन शुरू किया है। इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए यह एम्स की अनूठी पहल है। यहां के डॉक्टर और नर्स लोगों का स्वागत हाथ मिलाकर नहीं, बल्कि नमस्ते से कर रहे हैं। मकसद साफ है कि अगर हाथ नहीं मिलाएंगे तो एक से दूसरे में इंफेक्शन जाने का खतरा कम होगा। इससे ऐंटीबायॉटिक्स का इस्तेमाल कम होगा। इंफेक्शन कम होगा तो इलाज भी सस्ता होगा और मरीज की अस्पताल से छुट्टी भी जल्दी
वर्ल्ड ऐंटीबायॉटिक अवेयरनेस वीक
एम्स के कार्डियोथोरासिक विभाग के एचओडी डॉ शिव चौधरी का कहना है कि मकसद सभी को जागरूक करना है। जरूरत है कि हम हाथ न मिलाएं और हाथ जोड़कर सबको नमस्ते करें। डॉक्टर ने बताया कि नमस्ते कैंपेन एक अनूठी पहल है। 24 नवंबर तक वर्ल्ड ऐंटीबायॉटिक अवेयरनेस वीक मनाया जा रहा है। इसी के तहत यह कैंपेन चलाया जा रहा है। डॉक्टर शिव ने कहा कि हाथ इंफेक्शन को फैलाने का सबसे बड़ा जरिया होते हैं। हाथ हर चीज को छूता है और पहले खुद संक्रमित होता है और फिर उसे दूसरे तक पहुंचाता है। यही वजह है कि हम हाथ मिलाने की आदत की जगह नमस्ते करने की आदत डालने की बात कर रहे हैं।
संक्रमित हाथ दूसरों से मिलाने से फैलता है इंफेक्शन
डॉक्टर ने कहा कि हम या आप खुद बार बार हाथ धोते हैं, हाइजीन का ख्याल रखते हैं। लेकिन हमें सामने वाले शख्स के बारे में पता नहीं होता। जब किसी से हाथ मिलाते हैं तो उसका इंफेक्शन आप तक पहुंच जाता है। न चाहते हुए भी आप संक्रमित हो जाते हैं और इस बारे में पता भी नहीं चलता। अस्पताल में इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। जो यहां आता है, वह भी कभी मरीज को छूता है। वह कभी बेड, टेबल, दवा या फिर मरीज की चादर या कपड़ा छूता है तो वह खुद संक्रमित होता है। यहां से निकलने पर वह जिसे छुएगा, उसे संक्रमित करेगा। ऐसे में नमस्ते कहना बेहतर विकल्प है।