

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के 26वें दिन भी किसान डटे हुए हैं। राजधानी दिल्ली शीत लहर की चपेट में है, इसके बावजूद उसकी सीमाओं पर केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान डटे हुए हैं। रविवार को पारा 3.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो इस सीजन में अब तक का न्यूनतम तापमान है। किसान आंदोलन शुरू हुए चार सप्ताह हो चुके हैं। रविवार को किसान संगठनों ने प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की जान चली गई, उन्हें श्रद्धांजलि दी। आज का दिन ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। दिल्ली के बॉर्डर्स पर डटे किसानों के लिए देशभर से समर्थन पहुंच रहा है। जो आ सकते हैं, वे पहुंच रहे हैं। बॉर्डर पर डटे किसान एक ही बात कह रहे हैं कि कानून खत्म कर दिए जाएं तो फौरन यहां से चले जाएंगे।
दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बीच स्थित गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने उन प्रदर्शनकारियों को याद किया जो इस आंदोलन में अपनी जान गंवा चुके हैं। सभी की तस्वीरों पर माल्यार्पण किया गया। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों को अमेरिका के दो सिख एनजीओ ने टॉयलेट्स, गीजर्स और टेंट दान किए हैं। सिख पंचायत फ्रेमॉन्ट कैलिफोर्निया के होशियारपुर कोऑर्डिनेटर एसपी सिंह खालसा ने कहा कि 200 पोर्टेबल टॉयलेट्स और गीजर्स दान किए गए हैं।
क्या दो फाड़ हो गए किसान?
पंजाब के अलग-अलग अस्पतालों का स्टाफ भी सिंघु बॉर्डर आया हुआ है। लुधियाना में बतौर नर्स काम करने वाली हर्षदीप कौर ने कहा कि वे यहां किसानों का साथ देने आई हैं। अगर उनमें से कोई बीमार हुआ तो मदद को वे लोग मौजूद रहेंगी। इस पूरे आंदोलन में पंजाब और समुदाय विशेष आंदोलन को सहयोग कर आंदोलन को सफल बनाने के प्रयास में लगा है। वहीं दूसरी ओर देशभर में किसान ज्यादातर खामोश है। सुना है कुछ किसान केंद्र सरकार के कृषि बिल के समर्थन में दिल्ली कुछ कर रहे हैं। ऐसे इस आंदोलन को किस नजरिये से देखा जायेगा?