
नई दिल्ली। सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल ने सरकार को एक SOS भेजा है जिसमें कंपनी ने ऑपरेशंस जारी रखने में लगभग अक्षमता जताई है। कंपनी ने कहा है कि कैश कमी के चलते जून के लिए लगभग 850 करोड़ रुपये की सैलरी दे पाना मुश्किल है। कंपनी पर अभी करीब 13 हजार करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लायबिलिटी है जिसके चलते बीएसएनएल का कारोबार डांवाडोल हो रहा है।
बीएसएनएल के ऑपरेशंस जारी रखना लगभग नामुमकिन
बीएसएनएल के कॉर्पोरेट बजट ऐंड बैंकिंग डिविजन के सीनियर जनरल मैनेजर पूरन चंद्र ने टेलिकॉम मंत्रालय में जॉइंट सेक्रटरी को लिखे एक पत्र में कहा, ‘हर महीने के रेवेन्यू और खर्चों में गैप के चलते अब कंपनी का संचालन जारी रखना चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अब यह एक ऐसे लेवल पर पहुंच चुका है जहां बिना किसी पर्याप्त इक्विटी को शामिल किए बीएसएनएल के ऑपरेशंस जारी रखना लगभग नामुमकिन होगा।’
2018 में 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेला
पिछले हफ्ते भी सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी ने सरकार से कंपनी के भाग्य का फैसला करने क लिए अगली कार्यवाही से संबंधित सलाह मांगने के लिए एक चिट्ठी लिखी थी। बता दें कि बीएसएनएल सबसे ज्यादा घाटा सहने वाली टॉप पीएसयू है और कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, बीएसएनएल ने दिसंबर, 2018 के आखिर तक 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का परिचालन नुकसान झेलना पड़ा था।
मोदी से कंपनी के पुनरूद्धार के लिए हस्तक्षेप करने का किया आग्रह
इससे पहले रविवार को ही बीएसएनएल के इंजिनियरों और लेखा पेशेवरों के एक संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कंपनी के पुनरूद्धार के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल पर कोई कर्ज नहीं है और इसकी बाजार हिस्सेदारी में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में कंपनी को फिर से खड़ा किया जाना चाहिए। कंपनी में उन कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।