
आगरा। शहीदों के सरताज शांति के पुंज पंचम गुरु गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी गुरुपर्व एतहासिक़ स्थान गुरुद्वारा माई थान पर श्रद्धा पूर्ण वातावरण में मनाया गया।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में 40 दिन से हो रहे सुखमनी साहिब की पाठ की संपूर्णता हुईं। उपरांत हजूरी रागी अंकित सिंह बादल सिंह ने पंचम पतिशह की बानी का कीर्तन करते हुए कहा गुरु अर्जुन देव जी की शहादत का वर्णन इतिहास में कहीं और नहीं है इसलिए इन्हे शहीदों का सरताज कहते है। अपने दूसरे शब्द में “तती वाहो ना लगई सतगुरु रखे आप” का कीर्तन करते हुए की किसी भी व्यक्ति पर कैसा भी दुख हो यदि उस के सिर पर परमात्मा का हाथ हो तो उसे कुछ नहीं हो सकता है।

प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने कथा करते हुए बताया कि जब जहांगीर तख्त पर बैठा तो गुरु जी की शहादत अवश्य लग रही थी क्योंकि जहांगीर का मन गुरु घर के प्रति पहले ही मेला था। गुरु जी जानते थे कि ओह गरीब मोहे भावे का आदर्श पेश करने वाले को अब तत्ती तवियो पर भी बैठना पड़ेगा और गुरु जी पांच दिन तसिए देकर शहीद किया था। जहां गीर का मन डरता था कि व्यासा से उठी सिक्खी की लहर दिल्ली से आगरा को ही नहीं बहा दे।

इस अवसर पर इस कोरोना महामारी से सम्पूर्ण देश को बचाने के लिए अरदास की गई।
इस अवसर केंद्रीय संस्था के प्रधान कंवलदीप सिंह, समन्वयक बंटी ग्रोवर, गुरमीत सेठी, देवेन्द्र सिंह जोड़ा उपस्थित रहे।