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टेरर फाइनैंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की वजह से पाक हो सकता है ब्लैकलिस्टेड

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नई दिल्ली। फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स की पैरिस की बैठक में पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा। एक बार फिर से ब्लैकलिस्ट होने से बच सकता है। पाकिस्तान के मौजूदा ग्रे लिस्ट से बाहर आने की भी संभावना नहीं है, और इसके लिए इस्लामाबाद तमाम कोशिशें कर रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के सहयोगी मलयेशिया और तुर्की ने FATF में पाकिस्तान के पक्ष में बल्लेबाजी की है और चीन ने उसे अपना मौन समर्थन दे दिया है। दरअसल पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट से बाहर रखने के लिए तीन वोट मिलने ज़रूरी है, और आज इसी बात का फैसला FATF की बैठक में शाम करीब 3 बजे हो सकता है।

एशिया पेसीफिक ग्रुप की रिपोर्ट में पाकिस्तान पर नेगेटिव रिपोर्ट दी थी। इसके बावजूद अभी तक FATF से जो संकेत मिले हैं, उसके मुताबिक पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक के लिए ग्रे लिस्ट में ही बनाए रखा जा सकता है और उसे टेरर फाइनैंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को पूरी तरह से खत्म करने के अतिरिक्त कदम उठाने के निर्देश दिए जा सकते हैं। हालांकि अगर पाकिस्‍तान आज ब्‍लैक लिस्‍ट होने से बच जाता है तो यह उसके लिए केवल आंशिक राहत होगी। फरवरी 2020 में दोबारा FATF की बैठक होगी जिसमें पाकिस्‍तान अगर आतंकियों की वित्‍तीय मदद देना बंद नहीं करता है, तो उसके लिए फरवरी की बैठक में बच न‍िकलना मुश्किल होगा।

इस्‍लामाबाद को नहीं किया जाएगा ब्‍लैकलिस्‍ट : बीजिंग
इस बीच पाकिस्‍तान सरकार के दो उच्‍च पदस्‍थ सरकारी और सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि हाल ही में पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख के चीन दौरे के दौरान बीजिंग ने उन्‍हें गारंटी दी है कि इस्‍लामाबाद को ब्‍लैकलिस्‍ट नहीं किया जाएगा। पाकिस्‍तान के वित्‍त मंत्री हाफिज शेख ने इस सप्‍ताह कहा था, ‘अल्‍लाह की इच्‍छा है। हम जल्‍द से जल्‍द ग्रे लिस्‍ट से बाहर निकलने के लिए प्रयास कर रहे हैं और मैं समझता हूं कि आपको इस दिशा में किए जा रहे व्‍यापक प्रयास पर विश्‍वास करना चाहिए।’

भारत ने उठाई पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की मांग
भारत ने 13 अक्टूबर को बैठक की शुरुआत में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की मांग की थी। हमारे सहयोगी अखबार ईटी को पता चला है कि FATF ने पाकिस्तान में ऑफर किए जा रहे टैक्स छूट स्कीमों को लेकर चिंता जताई है। FATF बैठक के दौरान पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर ने दावा किया कि टेरर फाइनैंसिंग की जांच करने के 27 मापदंडों में से 20 में उनके देश का प्रदर्शन सकारात्मक रहा है। पाकिस्तान को पिछले साल जून में FATF ने ग्रे लिस्ट में डाला था और उसे अक्टूबर 2019 तक एक कार्ययोजना को पूरा करने या फिर ईरान और उत्तर कोरिया की तरह ब्लैकलिस्ट में शामिल होने के खतरे का सामने करने को कहा गया था। ग्रे लिस्ट में नाम आने से पाकिस्तान के लिए IMF, वर्ल्ड बैंक और यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से वित्तीय मदद मिलना काफी मुश्किल हो गया है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।

क्या है ‘डार्क ग्रे लिस्‍ट
माना जा रहा है कि फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) पाकिस्‍तान को ‘डार्क ग्रे लिस्‍ट’ में डाल सकता है। यह लिस्‍ट किसी देश को पूरी तरह से ‘ब्‍लैक लिस्‍ट’ करने से पहले एक तरह से अंतिम चेतावनी होती है। यह ग्रे और ब्‍लैक लिस्‍ट के बीच एक महत्‍वपूर्ण चरण होता है। इस चेतावनी के बाद अगर कोई देश नहीं सुधरता है तो उसे ब्‍लैक लिस्‍ट कर दिया जाता है। इस समय उत्‍तर कोरिया और ईरान FATF के ब्‍लैक लिस्‍ट में हैं।

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