Home Entertainment डर लगा था कि कहीं ऐक्टिंग भूल तो नहीं गया: सुनील शेट्टी

डर लगा था कि कहीं ऐक्टिंग भूल तो नहीं गया: सुनील शेट्टी

1355
0

नयी दिल्ली। करीब 27 साल पहले फिल्म ‘बलवान’ से फिल्म जगत में कदम रखने वाले ऐक्टर सुनील शेट्टी अब फिल्म ‘पहलवान’ से कन्नड फिल्म इंडस्ट्री में दस्तक दे रहे हैं। अपनी डेब्यू फिल्म का शीर्षक ‘बलवान’ और कमबैक फिल्म ‘पहलवान’ होने को अजीब इत्तेफाक मानने वाले सुनील ने एक खास मुलाकात में फिल्मों से ब्रेक, कमबैक, अपने फिल्मी सफर, पत्नी माना संग अपनी सफल शादी, बच्चों अथिया और अहान के करियर आदि पर दिल खोलकर बात की:

आप फिल्मों से करीब 4 साल तक दूर रहे। इस ब्रेक की क्या वजह रही। फिर, वापसी के लिए आपने कन्नड फिल्म ‘पहलवान’ क्यों चुनी?
ये ब्रेक पता नहीं क्यों हुआ, लेकिन हो गया। मुझे लगता है कि चूंकि मेरे पिता जी की तबीयत खराब थी, तो कहीं न कहीं मेरा फोकस काम के बजाय उधर हो गया था। वह काफी समय से पैरालाइज्ड थे, तो कभी-कभी काम करते वक्त चिढ़ आ जाती थी, क्योंकि आप एक निश्चित समय पर घर जाना चाहते हैं, जबकि यहां 9 बजे की शिफ्ट होती है, तो 11 बजे शुरू होती है और 6 बजे खत्म होनी हो, तो भी 12 बजे तक चालू रहती है। इन वजहों से शायद ऐसा हुआ। उसके बाद तो मैंने स्क्रिप्ट सुनना वगैरह सबकुछ बंद कर दिया था। ‘पहलवान’ को इसलिए चुना क्योंकि पिता जी के गुजरने के बाद कहीं न कहीं इस इंडस्ट्री से वापसी करने में एक कंफर्ट था। एक ऐसी इंडस्ट्री, जहां मैं न्यूकमर हूं लेकिन मेरी जन्मभूमि भी है, मैंगलोर, तो मैंने सोचा कि चलो यही से कमबैक करते हैं। हालांकि, अब ऐसा हो गया है कि मैं सारी भाषाओं की फिल्में कर रहा हूं। हिंदी, मलयालम, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, सब कर रहा हूं तो यह एक अच्छा कमबैक है। फिल्म अच्छी है और उम्मीद है कि सब अच्छा ही होगा।

आपने करीब 27 साल पहले ‘बलवान’ से फिल्मों में डेब्यू किया था। अब ‘पहलवान’ से कन्नड़ में डेब्यू कर रहे हैं। अपने इस फिल्मी सफर को कैसे देखते हैं?
यह अजीब है, लेकिन मैं भी कुछ दिन पहले यह सोच रहा था कि मेरी डेब्यू फिल्म ‘बलवान’ थी, अब पहली कन्नड’ फिल्म ‘पहलवान’ है। बाकी, फिल्मी सफर खूबसूरत ही रहा है लेकिन मैंने गलतियां भी बहुत कीं, जिसके चलते मैंने असफलताएं भी देखीं, पर अफसोस नहीं करता। मेरी कोशिश यही है कि जिंदगी का अब जो फेज है, वह भी खूबसूरत है। मेरे पास जो किरदार आ रहे हैं, वे मैच्योर, अच्छे किरदार हैं, चाहे हिंदी में हो या दूसरी भाषाओं में हो। आम तौर पर क्या होता है कि हिंदी का ऐक्टर साउथ की फिल्म करता है, तो उसे नेगेटिव रोल दे देते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रहा। मैं जो किरदार सिलेक्ट कर रहा हूं, वे अच्छे, सम्मानजनक किरदार हैं तो शुरुआत अच्छी है। चारों भाषाओं में चारों सुपरस्टार्स के साथ काम कर रहा हूं। मोहनलाल के साथ ‘माराक्कर’ हो, रजनी सर के साथ ‘दरबार’, सारी अच्छी फिल्में हैं।

इतने साल काम करने के बाद क्या ऐक्टिंग के प्रति वही आग बरकरार रह पाती है? जब सेट से दूर थे, तो रोल, कैमरा, ऐक्शन को मिस करते थे?
सौ फीसदी। वह आग हमेशा रहती है। मैं अब भी जब सेट पर जाता हूं, तो हमेशा एक न्यूकमर की तरह घबराता हूं। उतना ही नर्वस होता हूं और सीन कर लेने के बाद ही मुझे शांति मिलती है। जब ‘पहलवान’ के लिए भी मैं काम कर रहा था या डबिंग की, तो एक बार मुझे लगा कि कहीं चार साल के गैप के बाद मैं ऐक्टिंग भूल तो नहीं गया। यह डर हमेशा रहता है और मुझे लगता है कि इस डर की वजह से ही आप अपना बेस्ट दे पाते हैं। अभी मैं खुश हूं कि फिल्म में मेरा किरदार अच्छे से उभरकर आया है।

Previous articleअक्टूबर में सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ
Next articleआईएनएक्स मीडिया केस में सुप्रीम कोर्ट आज आगे की सुनवाई करेगा