
मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से कई बच्चो की मौत का मामला सामने आया है, ये बिमारी वह के क्षेत्र में महामारी का रूप ले चुकि है इस बुखार के चलते शनिवार रात तक 80 बच्चों के मरने की खबर थी, लेकिन रविवार सुबह 4 और बच्चों ने दम तोड़ दिया। अब तक 84 बच्चों की मौत हो चुकी है, रविवार को 4 बच्चों की मौत तो उस वक्त हुई, जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन हालात का जायजा लेने के लिए पहुंचे हुए थे। अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी से पीड़ित मरीजों की हालत अब भी गंभीर है और पीड़ित सभी रोगियों को चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। फिलहाल मुजफ्फरपुर पहुंचे हर्षवर्धन अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप के बाद की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
बेड और आईसीयू की कमी देखने को मिली
डॉक्टर हर्षवर्धन ने श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल का दौरा किया और डॉक्टरों से बात की। मेडिकल कॉलेज ने रविवार को तीन और बच्चों की मौत की पुष्टि की है। इस बीच बिहार सरकार के मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार शुरू से ही इस बीमारी पर काम कर रही है। दवाइयों की कोई कमी नहीं है। हालांकि उन्होंने माना कि वर्तमान में आपात स्थिति को देखते हुए बेड और आईसीयू की कमी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर में पहुंची
बता दें कि लगातार हो रही मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर में है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश के ना होने के चलते लोग हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण लोगों की मौत हो रही है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि चमकी के कारण हो रही मौतों का कारण लीची भी हो सकती है। कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं। इस बीच मरीजों के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में रात के समय डॉक्टर नहीं रहते हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। उनका कहना है कि रात के समय केवल नर्स रहती है। एक तीमारदार ने कहा कि हॉस्पिटल में रोज बच्चे मर रहे हैं लेकिन यहां पर सुविधाओं का काफी अभाव है।
हाइपोग्लाइसीमिया के कारण से हो रही है मौत

बता दें कि मौसम में तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण होने वाले वाले इस बुखार को लेकर राज्य के सीएम नीतीश कुमार भी चिंता जता चुके हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस पर नजर बनाए रखने को कहा था। हालांकि उनके अब तक मुजफ्फरपुर का दौरा न करने पर सवाल उठ रहे हैं। यह बीमारी हर साल इसी मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। एईएस से पीड़ित अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने की समीक्षा
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गर्मी से मौत पर दुख जताते हुए लोगों को घरों से न निकलने की सलाह दी है। उन्होंने पटना में कहा, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हीटस्ट्रोक से लोगों की मौत हो रही है। मैं लोगों को सलाह दूंगा कि जब तक तापमान कम न हो घर से बाहर न निकले। प्रचंड गर्मी से दिमाग पर असर पड़ता है और फिर इससे कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं।’
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दिया विवादित बयान
इसी बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एक विवादित बयान दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘बच्चों की मौत के लिए न प्रशासन जिम्मेदार है और न ही सरकार। बच्चों की नियति ठीक नहीं थी। मौसम भी इसके लिए जिम्मेदार है। सरकार ने इलाज के लिए पूरे इंतजाम किए थे।’