
नई दिल्ली। एक हिंदू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने मंगलवार को अयोध्या विवाद के सुप्रीम कोर्ट से केस की जल्द सुनवाई का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पहले दौर की मध्यस्थता में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम विचार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल विवाद का हल निकालने के लिए 15 अगस्त तक इसे पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला के नेतृत्व वाली मध्यस्थता समिति को सौंपा है।
मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए फैजाबाद तय- बेंच
1.सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को मामले में मैत्रीपूर्ण हल निकालने के लिए इसे मध्यस्थता समिति के पास भेजा था। इसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल। बेंच ने सदस्यों को निर्देशित किया था कि आठ हफ्तों में मामले का हल निकालें। पूरी बातचीत कैमरे के सामने हो।
2.मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता समिति को इस मामले को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। पेनल के मुताबिक वे इस मामले के मैत्रीपूर्ण हल निकालने को लेकर आशान्वित हैं।
3.बेंच ने कहा था- यदि मध्यस्थता समिति के सदस्य इस मामले में मैत्रीपूर्ण हल निकाले जाने को लेकर आशान्वित हैं और 15 अगस्त तक का समय चाहते हैं तो उन्हें समय देने में क्या हर्ज है? 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया गया था। इसका निर्माण 16 वीं सदी में हुआ था।
4.सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया पूरी करने के लिए उत्तरप्रदेश के फैजाबाद को तय किया था। यह अयोध्या से सात किमी दूर है। कोर्ट का निर्देश था कि मामले में सारे इंतजाम प्रदेश सरकार करे। कार्रवाई की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी थी।
5.2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था- अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला।