
नई दिल्ली। Google की विडियो सर्विस YouTube पर 170 मिलियन डॉलर (1 अरब 70 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगा है। अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन ने यूट्यूब पर यह जुर्माना गैरकानूनी तरीके से बच्चों की निजी जानकारी इकट्ठा करने के कारण लगाया है। यूट्यूब पर आरोप है कि वह बिना पैरंट्स की इजाजत के बच्चों के चैनल देखने वाले व्यूअर्स को कूकीज के जरिए ट्रैक करता था। यूट्यूब इन कूकीज का इस्तेमाल टारगेट व्यूअर्स को विज्ञापन दिखाकर करोड़ों डॉलर कमाने के लिए करता था।
अब तक सबसे भारी जुर्माना
13 साल से कम के बच्चों के डेटा को इकट्ठा करने से रोकने के लिए अमेरिका में साल 1998 में एक कानून बनाया गया था। इस कानून के बनने के बाद किसी कंपनी को फेडरल ट्रेड कमिशन और न्यू यॉर्क अटॉर्नी जनरल ऑफिस से सेटलमेंट के लिए दी जाने वाली यह राशि अब तक जुर्माने के तौर पर ली गई सबसे बड़ी रकम है। इसमें गूगल एफटीसी को 136 मिलियन डॉलर (1 अरब 36 करोड़ रुपये) और न्यू यॉर्क अटॉर्नी जनरल को 34 मिलियन डॉलर (3 करोड़ 40 लाख रुपये) देगा।
रेवेन्यू को हिसाब से कम है जुर्माना
साल 2013 में इस कानून को रिवाइज कर कूकीज को भी ऐड कर लिया गया था। इन कूकीज की मदद से यूजर द्वारा इंटरनेट पर देखे जाने वाले कॉन्टेंट की पसंद का अंदाजा लगाया जाता है। कंपनी के रेवेन्यू को देखते हुए कंपनी पर लगाया गया यह जुर्माना काफी कम है। गूगल की पैरंट कंपनी Alphabet अपने रेवेन्यू का 85% ऐड स्पेस और ऐड टेक्नॉलजी की सेल्स से समाती है। इस साल की बात करें दूसरी तिमाही में कंपनी का कुल रेवेन्यू 38.9 बिलियन डॉलर (करीब 390 करोड़ रुपये) था।
बच्चों के डेटा कलेक्शन को करेगा सीमित
इस मामले में यूट्यूब ने बुधवार ने कहा कि वह अगले चार महीनो में उसके प्लैटफॉर्म पर देखे जाने वाले चाइल्ड कॉन्टेंट से आने वाले डेटा को बच्चों का डेटा ही मानेगा। इसके साथ ही यूट्यूब ने यह भी कहा कि वह बच्चों के लिए बनाए गए विडियोज से लेने वाले डेटा को सीमित करते हुए केवल उतने डेटा को ही कलेक्ट करेगा जो इस सर्विस के काम करने के लिए जरूरी है।